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मानक हिंदी कैसे लिखें

आपका हमारे इस पृष्ठ पर स्वागत है। 


हिंदी की मानक वर्तनी नियम का पालन


यह पृष्ठ आपकी मदद करने के लिये उपलब्ध है, ताकि आप हिंदी की मानक वर्तनी नियमों का अनुपालन कर सकें।

जरूरत क्यों पड़ी?
हिंदी का मानकीकरण जितना आवश्यक है, उससे अधिक उसके शब्दों व उसके प्रयोगों को परिभाषित करना आवश्यक है। भूमंडलीकरण के दौर में कोई भी भाषा, चाहे उसका साहित्य कितना भी समृद्ध हो या फिर उसके रचनाकार कितने भी योग्य हो, तभी अपनी अस्तित्व बनाये रखती है, जब उसकी शब्दरचना पर कोई अनावश्यक आघात न हो।

लेकिन हमारी हिंदी के साथ एक उलटी गंगा बह रही है।

यहाँ सभी ने अप्राधिकृत रूप से हिंदी शब्दरचना को मनचाहा स्वरूप दे दिया है और इसके कारण ऐसी दुष्कृतियाँ देखने में मिलती हैं जो न केवल त्रुटिपूर्ण होती है, बल्कि पाठकों के सामने भी गलत प्रारूप प्रस्तुत करके उन्हें भी दिग्भ्रमित करने का प्रयास किया जाता है।

मैं मानने को तैयार हूँ कि मैं उन सैकड़ों में खुद को शामिल कर रहा हूँ लेकिन मेरे पास उपाय ही क्या है। मैं यहाँ कोई समाजसेवा करने के लिये नहीं आया हूँ या फिर प्रसिद्धि पाने। 

मुझे अपने उद्देश्यपूर्ति के अलावा कुछ भी नहीं चाहिये और इससे कम पर मुझे संतुष्टि भी नहीं मिलेगी।

मैं यहाँ नीचे कुछ नियम परिभाषित करने जा रहा हूँ जो भावी समय में बदलावयोग्य नहीं होंगे अर्थात् उनकी शब्दशैली या शब्दप्रवाहिता पर भविष्य में कोई असर नहीं पड़ना चाहिये।


                    
ये नियम हैं:

क.   नुक्ता अमान्य है। जैसे- जहाज सही है लेकिन ज़हाज़ गलत है।

गलत
सही
गलत
सही
ज़िंदगी
जिंदगी
ज़हाज़
जहाज
ज़रूरत
जरूरत
 -आगामी-
 -आगामी-
गाडी
गाड़ी
-आगामी-
-आगामी-
-आगामी-
-आगामी-
-आगामी-
-आगामी-

हम यदि देवनागरी में उर्दु लिख रहे हैं, तब तो यह मान्य होगा, अन्यथा अमान्य मानने में कोई हर्ज नहीं है।

हम यहाँ हिंदी लिखने हेतु देवनागरी उपयोग कर रहे हैं और देवनागरी की किसी भी विधा में इस तरह नुक्ता का अनावश्यक उपयोग नहीं है। हाँ, उच्चारणनुसार ऐसा किया जा सकता है लेकिन वह भी नियमसंगत होना चाहिये और इस प्रकार ज़िंदगी, ज़रूरत अमान्य हैं।

इसमें एक अपवाद अवश्य हो सकता है, जब आप आँग्ल शब्दों को हिंदी में लिखते हैं, तब आप उन्हें नुक्तासहित लिख सकते हैं।

Reserve- रिज़र्व
रिजर्व
-आगामी-
-आगामी-
-आगामी-
-आगामी-
-आगामी-
-आगामी-
-आगामी-
-आगामी-

लेकिन तब भी मैं नुक्तारहित आँग्ल लिप्यंतरित शब्दों को ही प्राथमिक मानूँगा।


ख.   चंद्रबिंदु जरूरी हैं जैसे- हंस और हँस।
उदाहरण- (क) आसमान में हंस (पक्षी) उड़ रहे हैं।
(ख) वह हँस (हँसी) रही थी।
यहाँ दोनों में फर्क आवश्यक है क्योंकि हिंदी ऐसी प्रकृति की भाषा है, जहाँ जो बोला जाता है, वही लिखा जाता है और अगर आपको सही उच्चारण नहीं आता है, तो सीखिये और यदि सीखने में असमर्थ हैं, तो सही लिखना सीख लीजिये। 

इसके अलावा कुछ और शब्द हैं, जिनपर चंद्रबिंदु के नियम लागू होते हैं लेकिन कुछ लोग इसके उपयोग से इसलिये बचना चाहते हैं, ताकि इनकी उपयुक्तता से बचे रह सके।

सही
गलत
सही
गलत
सही
गलत
आँसू
आंसू
चाहूँगा
चाहूंगा
बँटवारा
बंटवारा
दूँगा
दूंगा
बाँटना
बांटना
हाँ
हां



ग.    इसी तरह हूँ मान्य होगा, हूं नहीं।

जैसे- मैं चैन्नई जानेवाला हूँ। (सही)
मैं चैन्नई जाने वाला हूं। (गलत)

घ.    जानेवाला एक साथ लिखने का तर्क यह है कि हम जब भी इसे बोलते हैं, तो ये दोनों शब्द एक ही साथ गतिशील होकर सुनायी देते हैं। 

जानेवाला (सही)
जाने वाला (अमान्य)
हिम्मतवाला (सही)
हिम्मत वाला (अमान्य)
खानेवाला (सही)
खाने वाला (अमान्य)
कमानेवाला (सही)
कमाने वाला (अमान्य)


ङ.     हिंदी सही है, हिन्दी नहीं जब बंगला में हिंदी लिखा जाता है, तो वह হিন্দী होता है। कुछ अन्य भाषाओं में भी यही विधा विद्यमान हैं लेकिन स्वच्छता की आस सर्वप्रथम घर से ही लगायी जाती है और यहाँ हमारे घर हिंदी के प्रकाशनगृह व अंतर्जाल पर उपलब्ध सजाल हैं।

जब आप देवनागरी उपयोग करते हैं, तो आपसे अपेक्षा की जाती है कि आप हिंदी लिखें, नाकि हिन्दी।

हिंदी (सही व मान्य)
हिन्दी (गलत व अमान्य)


च.    हिंदी में कोई भी संस्था, संस्थान, कंपनी, सरकार, आदि सभी मूलक वर्ग स्त्रीलिंग श्रेणी में आते हैं। यहाँ कोई अपवाद स्वीकार्य नहीं होगा।

सही
गलत
भारत सरकार सड़क परियोजना का लोकार्पण करनेवाली है।
भारत सरकार सड़क परियोजना का लोकार्पण करने वाला (या करनेवाला) है।
अक्षय ट्रस्ट मदुरई में भूखे-बेघरों को खाना खिलाती है।
अक्षय ट्रस्ट मदुरई में भूखे-बेघरों को खाना खिलाता है।
हमारे पास रोटी बैंक है जो घरों से रोटी सब्जी जमा करके गरीबों में बाँटती है।
हमारे पास रोटी बैंक है जो घरों से रोटी सब्जी जमा करके गरीबों में बांटता है।

छ.   एं और एँ के उपयोग में त्रुटियाँ आती है और हाँ, मैं मानने को तैयार हूँ कि इससे वाक्य लिखने में आसानी होती है क्योंकि ये (या यें) लिखने में दो बार (या तीन बार खटखट या कीस्ट्रॉक) लगती है लेकिन एं (व एँ) में दो ही बार खटखट होती है।

मैं इन दोनों के उपयोग को अमान्य मानते हुये इनके मौलिक स्वरूप को ही प्राथमिकता दूँगा, यानि एं (या एँ) के बदले यें और ए (या ऐ) की जगह ये सही है

सही
गलत
सही
गलत
सुविधायें
सुविधाएं / सुविधाएँ
जायेंगे
जाएंगे / जाएँगे
उठाये  / उठायें
उठाए / उठाएँ, उठाएं
सोयेंगे
सोएंगे / सोएँगे
सोये
सोए


हुये
हुए


हुयी
हुई




ज.   कुछ अन्य शब्द, जैसे रेस्त्रां, अंतर्जाल आदि के अधिकतम उपयोग को बढ़ावा मिलना चाहिये। यह अब अमान्य माना जायेगा क्योंकि आप मनमाने तरीके से सिर्फ इसीलिये अंग्रेजी शब्दों का उपयोग नहीं कर सकते हैं क्योंकि वह आपको मनमाफिक प्रतीत होता है

सही
गलत
सही
गलत
रेस्त्रां
रेस्तरां


दोबारा
दुबारा


अंतर्जाल
इंटरनेट


टेड़ी
टेढ़ी












झ.   मैं स्पष्ट करना चाहता हूँ कि लेख और आलेख भिन्न हैं। लेख लेखन की किसी भी विधा में हो सकती है लेकिन आलेख लेखन की वह विधा है जिसमें आप संक्षिप्त लेखन करके किसी विषयवस्तु की समालोचना करते हैं।


ञ.    अंग्रजी शब्द तभी मान्य होंगे, जब उनके भारती विकल्प अनुपलब्ध हों। 
   हम ऐसा करके अंग्रेजीविरोध या इससे संबंधित किसी भी आशंका का विक्षोभ करते हैं क्योंकि हमारे लिये सर्वप्रथम हमारी निज भाषायें हैं, उसके बाद बाकी सब। 
   मैं जब निज भाषायें बोलता हूँ, तो उसमें सभी सोलहसौ भाषायें स्वतः सम्मिलित हो जाती हैं।
  
   शब्दचयन की प्रक्रिया में आँग्ल शब्दों को तभी मान्य किया जायेगा, जब हमारी सभी भाषाओं में उनके सन्निकट भाव/शब्द अनुपलब्ध हों। मैं मानता हूँ कि यह टेढ़ी खीर के समान है लेकिन नामुमकिन भी नहीं है।

ट.     आगे कई और प्रतीक्षारत हैं
आपसे आगे भी अपेक्षा की जाती है कि कुछ दिनों के अंतराल पर यह पृष्ठ अवश्य जाँचते रहें, ताकि आप हिंदी लेखन में होनेवाली भावी अनिष्टताओं से बच सकें।

विशेष: यह तालिका अभी भी अद्यतनरत है।

इसके अलावा यदि हिंदी लेखन में आपको कोई सहायता या मदद चाहिये, तो आप हमारे संपर्क प्रपत्र के जरिये हमसे संपर्क कर सकते हैं। हम यथाशीघ्र आपकी पृच्छा का जवाब दे सकेंगे।

अगर आपको यहाँ कोई त्रुटि/गलती/दोष मिलती है, तो कृपया हमारे साथ अवश्य साझा करें। हम अभी भी बहुत कुछ सीख रहे हैं और सीखने की चाहत हममें अभी भी जिंदा है।
यह पृष्ठ अंतिम बार 10 मई 2017 (1729 भामास) को अद्यतित हुयी थी।

यहाँ मानक हिंदी के संहितानुसार कुछ त्रुटियाँ हैं, जिन्हें सुधारने का काम प्रगति पर है। आपसे सकारात्मक सहयोग अपेक्षित है। अगर आप यहाँ किसी असुविधा से दो-चार होते हैं और उसकी सूचना हमें देना चाहते हैं, तो कृपया संपर्क प्रपत्र के जरिये अपनी व्यथा जाहिर कीजिये। हम यथाशीघ्र आपकी पृच्छा का उचित जवाब देने की चेष्टा करेंगे।

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